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नक्षत्र (nakshatra) क्या है? और इसकी विशेषताएं क्या है, जानिए इसका ज्योतिष में महत्व

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ज्योतिष में नक्षत्र (nakshatra) का बहुत महत्व है। पंचांग की दृष्टि से भी नक्षत्रों का विशेष महत्व है। वैसे नक्षत्र का शाब्दिक अर्थ है तारों का ऐसा समूह जो स्थिर हो। वैसे ज्योतिष में 27 नक्षत्रों को मान्यता है। 28वां नक्षत्र अभिजीत कहलाता है, अभी तक ज्यादातर जगह 28वें नक्षत्र को मान्याता नहीं दी गई है। जानते हैं ज्योतिष में नक्षत्र क्या है? और इनका पौराणिक महत्व क्या है?

नक्षत्र (nakshatra) की पौराणिक कहानी

कहा जाता है कि ये नक्षत्र दक्ष प्रजापति की बेटियां है। जिनका विवाह चंद्रमा से हुआ था। प्राचीन काल में जब सृष्टि की रचना काम चल रहा था, तब चंद्रमा केवल रोहिणी के पास रहता है। रोहिणी भी एक चमकीला नक्षत्र है। इससे दक्ष प्रजापति की अन्य 26 बेटियां परेशान हो गई। इससे दक्ष ने क्रोधित होकर चंद्रमा को क्षय होने का शाप दे दिया। हालांकि बाद में भगवान शिव ने इस शाप से चंद्रमा को मुक्ति दिलाई, लेकिन आदेश दिया कि उसे सभी पत्नियों से बराबर प्रेम करना चाहिए। इसके चंद्रमा सभी नक्षत्रों के पास एक-एक दिन जाता है। अर्थात् 27 दिनों में चंद्रमा सभी नक्षत्रों (nakshatra) की परिक्रमा पूरी कर लेता है।

हालांकि नक्षत्रों से पूर्व वैदिक ऋषियों ने आसमान को 360 डिग्री में बांटकर 12 राशियों में विभक्त कर दिया था। ये बारह राशियां मेष, वृषभ, मिथुन से लेकर कन्या, तुला और कुंभ, मीन तक बंटी हुई है। इसके बाद ज्योतिषीय गणना को और अधिक मजबूत और सही फलकथन के लिए आसमान को 27 नक्षत्रों में बांट दिया गया। किसी भी नक्षत्र के आधार पर व्यक्ति के स्वभाव, कॅरियर और जीवन से संबंधित अन्यक्षेत्रों की भविष्यवाणी आसानी से की जा सकती है।

कौन से हैं 27 नक्षत्र (nakshatra) , क्या है उनकी विशेषता

1. अश्विनी नक्षत्र – यह सबसे पहला नक्षत्र है। इसमें तारों की संख्या 3 है और इसका निशान अश्व यानी घोड़ा है। अश्विनी नक्षत्र का स्वामी केतु होता है। यदि कुंडली में अश्विन नक्षत्र में चंद्रमा हो, तो जातक को अक्सर खूबसूरत चीजों से प्रेम रहता है।

2. भरणी नक्षत्र- नक्षत्रों में दूसरे नंबर पर भरणी नक्षत्र (nakshatra) आता है। इसका स्वामी शुक्र है और निशान एक त्रिकोण के समान होता है। भरणी नक्षत्र में पैदा हुए जातक बेहद सुंदर होते हैं। जिंदगी हमेशा लग्जुरियस चीजों का उन्हें शौक रहता है।

3. कृतिका नक्षत्र- कृतिका नक्षत्र के लोगों पर सूर्य का असर साफ दिखता है। यह अग्नि तत्व का नक्षत्र है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अति महत्वाकांक्षी होते हैं। कई बार वे अहंकारी भी होते हैं।

4. रोहिणी नक्षत्र- रोहिणी नक्षत्र (nakshatra) का स्वामी चंद्रमा होता है। चंद्रमा को ज्योतिष में मन का कारक कहा जाता है, इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे लोग कुछ चंचल होते हैं। जीवन में सुख-सुविधाओं से कभी वंचित नहीं रहते हैं।

5- मृगशिरा नक्षत्र – इस नक्षत्र पर मंगल का प्रभाव होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग साहसी, चंचल और आज्ञाकारी माने जाते हैं। हालांकि बदला लेने की प्रवृत्ति इनमें होती है।

6- आर्द्रा नक्षत्र – आर्द्रा नक्षत्र के लोगों पर राहु का प्रभाव ज्यादा रहता है। अक्सर ये भी भ्रम में रहते हैं और दूसरों को भी भ्रम में रख सकते हैं। राजनीति में ऐसे लोग अक्सर सफल होते हैं।

7- पुनर्वसु नक्षत्र – पुनर्वसु नक्षत्र (nakshatra) का स्वामी गुरु होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले प्रेमी स्वभाव
के होते हैं। वे काफी मिलनसार होते हैं। पढ़ने-लिखने का उन्हें शौक होता है।

8- पुष्य नक्षत्र – पुष्यनक्षत्र का स्वामी शनि देव है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग थोड़े आलसी स्वभाव के होते हैं, लेकिन दूसरों के लिए हमेशा वे काफी सोचते हैं। नए काम करना उन्हें पसंद आता है।

9- अश्लेषा नक्षत्र – अश्लेषा नक्षत्र का स्वामी बुध है, लेकिन इसे विषैला नक्षत्र कहा जाता है। इस नक्षत्र में जन्म होने के कारण व्यक्ति काफी आकर्षक होता है। अपना काम निकालना इन्हें बखूबी आता है।

10- मघा नक्षत्र – यह दसवां नक्षत्र (nakshatra) है। इसका स्वामी सूर्य है। इस नक्षत्र में पैदा हुए लोग काफी
आत्मविश्वास से भरे हुए होते हैं, हालांकि ये लोग हर काम को जल्दबाजी में निपटाना चाहते हैं।

11- पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र – इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। इस नक्षत्र में जन्म लोग बेहद सम्मानीय होते हैं। ये लोग
किसी भी तरह के फालतू विवाद में नहीं पड़ते हैं।

12- उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का भी स्वामी सूर्य ही है। ये लोग समझदार, बुद्धिमान, साहसी होतेहैं। अक्सर ये चाहते हैं कि लोग इनका अनुसरण करें।

13- हस्त नक्षत्र – हस्तनक्षत्र का स्वामी चंद्रमा है। इस नक्षत्र में जन्मे लोग स्थिर विचारों वाले होते हैं। ये लोग
व्यावसायिक गुणों से भरपूर होते हैं। जीवन में सुख-सुविधाओं का आनंद उठाना चाहते हैं।

14- चित्रा नक्षत्र – इस नक्षत्र पर मंगल का प्रभाव दिखाई देता है। इस (nakshatra) में जन्मे लोग गुस्सैल हो सकते हैं। विपरित परिस्थितियों से कभी नहीं घबराते हैं। हमेशा ऊर्जावान दिखाई देते हैं

15- स्वाति नक्षत्र – स्वाति बेहद शुभ नक्षत्र है, लेकिन इसका स्वामी राहु है। इस नक्षत्र के लोग दिखावा पसंद नहीं करते हैं। हमेशा एक आदर्श जीवन जीने की कोशिश करते हैं।

16- विशाखा नक्षत्र- इस नक्षत्र (nakshatra) का स्वामी गुरु है। ये लोग काफी समझदार होते हैं। आसान बातचीत से अपना काम निकाल लेते हैं। महत्वाकांक्षी भी होते हैं।

17- अनुराधा नक्षत्र- अनुराधा नक्षत्र का स्वामी शनि है। ये लोग आदर्शवादी होते हैं। कई बार स्वभाव से थोड़े कठोर होते हैं। हालांकि बेहद मेहनती भी होते हैं।

18- ज्येष्ठा नक्षत्र – इसका स्वामी बुध होता है। यह भी एक अशुभ नक्षत्र में गिना जाता है। फिर भी इस नक्षत्र में
जन्मे लोग बेहद अनुशासित होते हैं। वे दृढ़ निश्चयी होते हैं।

19- मूल नक्षत्र – मूल नक्षत्र में पैदा हुए बालक की भी पूजा करवाकर शांति की जाती है। यह भी अशुभ नक्षत्र है,
लेकिन इन नक्षत्र में पैदा हुए लोग जीवन में सुख-समृद्धि से भरपूर रहते हैं।

20- पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र – इस नक्षत्र (nakshatra) का स्वामी शुक्र है। इस नक्षत्र के लोग कलाप्रेमी होते हैं। हालांकि कभी-कभी अपनी चंचल प्रवृत्ति के कारण नुकसान करवा लेते हैं।

21- उत्तराषाढ़ा नक्षत्र – इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। ये लोग अत्यंत प्रेमी और मीठी वाणी बोलने वाले होते हैं। हमेशा आशावादी प्रवृत्ति के रहते हैं।

22- श्रवण नक्षत्र –इस नक्षत्र के स्वामी शनि देव है। ये लोग पूरी तरह इमानदार होते हैं और दूसरों की बातों को सुनने वाले होते हैं। हर कार्य में इन्हें सफलता मिलती है।

23- धनिष्ठा नक्षत्र- इस नक्षत्र (nakshatra) का स्वामी मंगल है। ये जातक जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा पाते हैं। हर काम में साहस दिखाते हैं और पूरी मेहनत करते हैं।

24- शतभिषा नक्षत्र – इस नक्षत्र का स्वामी राहु है, लेकिन ये जातक बेहद मजबूत विचारों वाले होते हैं। हालांकि इन्हें दूसरों की दखलअंदाजी पसंद नहीं आती है। शत्रुओं से भय बना रहता है।

25- पूर्वाभाद्रपद- इस नक्षत्र के स्वामी गुरु है। ये जातक सत्यवादी होते हैं और हमेशा नियमों में चलने वाले होते हैं। आध्यात्म की ओर हमेशा आकर्षित होते हैं।

26- उत्तराभाद्रपद – इस नक्षत्र का स्वामी राहु है। ये लोग बेहद यथार्थवादी होते हैं। परिश्रम करके धन एकत्रित करते हैं। इनका हृदय बेहद कोमल होता है। जरा सी बात से इन्हें ठेस पहुंच सकती है।

27- रेवती नक्षत्र – यह नक्षत्र (nakshatra) सबसे आखिरी नक्षत्र होता है। इसका स्वामी बुध है। ये साहसिक होते हैं और इनकी बोली काफी मीठी होती है। परंपराओं का पालन करने वाले होते हैं।

 

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