हिंदू और बौद्ध धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है बुद्ध पूर्णिमा। हिंदू महीने वैशाख की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा (buddh purnima) मनाई जाती है। इस साल यानी साल 2022 में बुद्ध पूर्णिमा (Buddh purnima 2022) का उत्सव 16 मई को मनाया जाएगा। कई जगह पर बुद्ध पूर्णिमा को वेसाक भी कहते हैं। दरअसल वेसाक शब्द सीधे हिंदू महीने वैशाख से जुड़ा है। बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव भारत, चीन, नेपाल, थाईलैंड और जापान में बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। जानते हैं वैशाख पूर्णिमा पर आने वाली बुद्ध पूर्णिमा (Buddh purnima) का महत्व, पूजा विधि और भगवान बुद्ध से जुड़ी कुछ शिक्षाओं के बारे में-
कब है बुद्ध पूर्णिमा 2022 (Buddh purnima 2022)
बुद्ध पूर्णिमा 2022 16 मई 2022, सोमवार
पूर्णिमा तिथि शुरू 15 मई, 2022 को 12:45 मिनट
पूर्णिमा तिथि समाप्त 16 मई, 2022 को सुबह 09 बजकर 43 मिनट
(उदयकालीन तिथि होने के कारण बुद्ध पूर्णिमा 16 मई को मनाई जाएगी।)
क्या है बुद्ध पूर्णिमा का महत्व और इतिहास
दुनियाभर में फैले बौद्ध बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के जीवन की तीन बड़ी घटनाएं बुद्ध पूर्णिमा (buddh purnima 2022) से जुड़ी है।
गौतम बुद्ध का जन्म
लगभग 2500 साल पहले कपिलवस्तु के पास लुंबिनी में शाख्य वंश के राजा शुद्धोधन के घर वैशाख पूर्णिमा को सिद्धार्थ का जन्म हुआ। कुछ ज्योतिषियों ने सिद्धार्थ के संन्यास ग्रहण करने की भविष्यवाणी पहले ही कर दी थी, लेकिन शुद्धोधन ने उन्हें संन्यासी बनने से रोकने के कई प्रयत्न किए। सिद्धार्थ का विवाह भी जल्दी करवा दिया गया। वे कम उम्र में ही एक पुत्र के पिता बने। एक बार उन्होंने महल से बाहर जाने पर दु:ख, बीमारी, वृद्धावस्था और मृत्यु के दृश्य देख लिए और उनके मन में कई सवाल उठ गए। बस इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास ले लिया।
सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति
माना जाता है कि सिद्धार्थ ने कम उम्र में अपने सवालों के जवाब ढूंढने के लिए घर छोड़ दिया। लगातार कई वर्षों तक भटककर उन्होंने कई दिव्य साधुओं से मुलाकात की और उनके साथ समय बिताया, लेकिन उन्हें अपने प्रश्नों के उत्तर नहीं मिले। अपनी यात्रा में आगे बढ़ते हुए वे बोध गया के निकट एक वृक्ष के नीचे समाधिस्थ होकर बैठे। वह दिन भी वैशाख पूर्णिमा का था। उस दिन उन्हें मोक्ष की ओर ले जाने वाले ज्ञान तथा लोगों के दु:खों का कारण समझने वाला ज्ञान प्राप्त हुआ। आज भी बुद्ध पूर्णिमा (buddh purnima 2022) पर लोग बोध गया जरूर जाते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा पर ही भगवान बुद्ध का निर्वाण
ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने कई शिष्यों को ज्ञान दिया। उन्होंने अपने ज्ञान का नाम मध्यम मार्ग दिया। भगवान बुद्ध ने जहां अपना पहला उपदेश दिया वह स्थान सारनाथ है। यह दिए गए उपदेशों को धम्म चक्र परिवर्तन के नाम से जाना जाता है। इसके बाद 80 साल की आयु में बुद्ध पूर्णिमा यानी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने अपना शरीर त्याग दिया।
कैसे करें बुद्ध पूर्णिमा का पूजन
बुद्ध पूर्णिमा (Buddh purnima 2022) का सबसे बड़ा उत्सव बोधगया में मनाया जाता है। इस दिन बोधिवृक्ष के दर्शन करने और उसकी पूजा करने का विशेष महत्व है। यदि आप घर पर भगवान बुद्ध की पूजा कर रहे हैं, तो भगवान बुद्ध की प्रतिमा या चित्र को साफ करें। बुद्ध के समक्ष फल, फूल, नेवैद्य अर्पण करें। साथ ही भगवान बुद्ध के उपदेशों का पालन करने का संकल्प लें। बौद्ध मंत्रों का जाप कर सकते हैं। भारत में ज्यादातर प्रचलित बौद्ध मंत्र तिब्बती गुरुओं की देन है। इस दिन आप गरीबों को विशेष उपहार भी दें।
बुद्ध पूर्णिमा 2022 पर जानिए भगवान बौद्ध के प्रमुख उपदेश
भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी कुछ विशेष उपदेशों को हर मनुष्य को जरूर अपनाना चाहिए। बुद्ध पूर्णिमा (buddh purnima 2022 पर उनके लिए हमारे सबसे बड़ी श्रद्धांजलि यही होगी-
– सभी को अपनी तरह समझें। स्वयं या दूसरों को भी हिंसा के लिए प्रेरित ना करें।
– खुद पर विजय पाने से सभी तरह की लड़ाइयां जीती जा सकती है।
– पशुओं को मारना और उनका मांस ग्रहण करना घोर पाप है।
– लक्ष्य को हासिल करने से ज्यादा जरूरी है उस ओर की जा रही यात्रा लगातार बनाए रखना।
बुद्ध पूर्णिमा (buddh purnima 2022)के अवसर पर हमें इन उपदेशों को आत्मसात करके जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
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