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दूर्वा अष्टमी (durva ashtami) क्या होता है, कैसे कर सकते हैं इस दिन मनोकामना पूरी

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हिंदू धर्म में त्यौहारों की एक विशेष श्रृंखला है। सनातन धर्म में प्रकृति को ईश्वर तुल्य माना गया है। इस सोच को विकसित करते हुए हमारे ऋषि मुनियों ने भाद्रपाद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दूर्वा अष्टमी का पर्व घोषित किया है। यह पर्व दूर्वा घास को समर्पित है। इस दिन दूर्वा का विशेष पूजा की जाती है। दूर्वा श्री गणेश को अत्यंत प्रिय है। जानिए इस दूर्वा अष्टमी (durva ashtami) कब है, क्या है इसका महत्व

कब है दूर्वाष्टमी (durva ashtami)

साल 2022 में दूर्वाष्टमी का पर्व 3 सितंबर 2022 को मनाया जाएगा।
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 03 सितम्बर, 2022 को 12:28 पी एम से
अष्टमी तिथि समाप्त – 04 सितम्बर, 2022 को 10:39 ए एम तक

दूर्वा अष्टमी के व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में दूर्वा को केवल घास नहीं माना जाता है। यह संस्कृति का प्रतीक है। अक्सर शुभ कार्यों में दूर्वा का उपयोग किया जाता है। श्री गणेश पूजा में दूर्वा को विशेष महत्व दिया गया है। दूर्वा के बिना श्री गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है। दूर्वा अष्टमी (durva ashtami) पर दूर्वा की पूजा करके मनोकामना पूरी की जा सकती है। यह त्यौहार भी गणेश उत्सव के दौरान गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद आता है।
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार जब अमृत कलश समुद्र से प्राप्त हुआ, तो देव और दानवों के आपसी झगड़े में कुछ बूंद दूर्वा पर भी गिर गई। इसी कारण दूर्वा को पवित्र माना जाने लगा है। यह भी देखा गया है कि दूर्वा सभी महीनों में एक सी बढ़ सकती है और पर्यावरण संतुलन में बेहद मदद करती है।
वहीं दूर्वा अष्टमी से जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार जब गणेशजी राक्षसों से युद्ध कर रहे थे, तब युद्ध में राक्षसों की मृत्यु नहीं हो रही थी। ऐसे में गणेशजी ने उन्हें निगल लिया। इससे गणेशजी के उदर का ताप काफी बढ़ गया। इसे शांत करने के लिए देवताओं ने हरी दूब गणेशजी को अर्पित की। इससे उन्हें शीतलता प्राप्त हुई, तभी से गणेशजी को दूर्वा प्रिय है। दूर्वा अष्टमी (durva ashtami) पर दूर्वा पूजन के बाद गणेशजी को इसे अर्पण करना हमेशा सुख दायक रहता है।

दूर्वा अष्टमी का व्रत और पूजा विधि

– दूर्वा अष्टमी (durva ashtami) पर सुबह जल्दी स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
– अब गणेशजी के सामने दूर्वा अष्टमी व्रत का संकल्प लें।
– घर के पूजा स्थल पर मौजूद देवी-देवताओं की पूजा करें।
– घर के आसपास मौजूद किसी बाग या कोई अन्य जगह पर उग रही दूर्वा की पूजा करें।
– दूर्वा से आज्ञा लेकर कुछ दूर्वा तोड़ें और गणेशजी को उनके 12 नामों के साथ चढ़ाएं।
– इस दिन भगवान शिव के मंदिर यथासंभव सेवा करें।
– जरूरतमंदों को दान करें।
– श्री गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें और प्रसाद बांटें।

दूर्वा अष्टमी पर जरूर करें गणेश पूजा

– दूर्वा अष्टमी की सही पूजा श्री गणेश पूजन से ही संभव है।
– इस दिन गणेश गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार जाप जरूर करें।
– श्री गणेश मंदिर की सेवा करें।
– श्री गणेश गायत्री मंत्र इस प्रकार है-
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात

राहु शांति के लिए करें दूर्वा की पूजा

ज्योतिष में किसी ना किसी वनस्पति को किसी विशेष ग्रह के साथ जोड़ा गया है। दूर्वा को पानी देने, दूर्वा को हरी-भरी रखने और श्री गणेश को दूर्वा अर्पण करने से राहु दोष दूर होता है। दूर्वा अष्टमी (durva ashtami) पर राहु शांति के लिए दूर्वा सेवा का व्रत लेना चाहिए। देवदर्शन पर आप देश के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। यहां ऑनलाइन पूजा और दान में भी शामिल हो सकते हैं। अभी डाउनलोड करें देवदर्शन ऐप