अश्विन नवरात्रि की पंचमी तिथि को ललिता पंचमी (Lalita Panchami) मनाई जाती है। इस दिन उपांग ललिता व्रत करने का विधान है। माता ललिता दस महाविद्याओं में से एक है। उनके अन्य नाम महात्रिपुरसुन्दरी’, षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी, ललितागौरी तथा राजराजेश्वरी भी कहते हैं। वे दस महाविद्याओं में सबसे प्रमुख देवी हैं। यह देवी पार्वती का तांत्रिक स्वरूप है। जानते हैं ललिता पंचमी (Lalita Panchami) का क्या महत्व है? कैसे माता को प्रसन्न रखने के लिए किया जा सकता है उपांग ललिता व्रत –
कब है ललिता पंचमी (Kab hai Lalita Panchami)
साल 2022 में ललिता पंचमी (Lalita Panchami) 30 सितंबर को है। इस दिन उपांग ललिता व्रत रखकर मनोकामना पूरी की जा सकती है।
ललिता देवी (Lalita Devi) कौन है
माता ललिता दस महाविद्याओं की सबसे प्रमुख देवियों में से एक है। षोडशी, त्रिपुर सुंदरी, ललिता, राज राजेश्वरी के नाम से विख्यात है। ये महाविद्या धन, ऐश्वर्य, काम और मोक्ष की अधिष्ठात्री देवी है। स्वयं भगवान शिव ने भी माता ललिता की साधना और पूजा को सर्वसिद्धिदायक बताया है। माता श्रीयंत्र पर विराजित है और सदाशिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, सरस्वती, गणेश, लक्ष्मी भी उनकी सेवा कर रहे हैं। माता अपने भक्तों को सदैव मनचाहा आशीर्वाद देने के लिए उत्सुक रहतीं हैं। माता की विशेष पूजा ललिता पंचमी के दिन की जाती है और मां के भक्त उपांग ललिता व्रत का पालन करते हैं।
ललिता पंचमी (Lalita Panchami) का महत्व क्या है?
अश्विन नवरात्रि के पांचवें दिन माता स्कंदमाता के साथ श्री ललिता देवी की पूजा का भी विशेष महत्व है। कहते हैं महादेव द्वारा भस्मित हुए कामदेव की राख से उत्पन्न होने के लिए श्री ललिता देवी ने इसी दिन अवतार लिया था। माता दस विद्याओं में से एक है, जो भोग के साथ मोक्ष देने की भी शक्ति रखती है। अश्विन पंचमी को ललिता पंचमी (Lalita Panchami) माता ललिता के प्राकट्य उत्सव के रूप में भी मनाने की परंपरा है। इस दिन नवरात्रि का पांचवां दिन होता है। इस दिन माता ललिता की आराधना कभी विफल नहीं होती है। माता की आराधना करने वाले भक्त को सदैव समस्त सुख-सुविधाएं स्वयं ही प्राप्त हो जाती है। माता के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए उपांग ललिता व्रत का पालन करते हैं।
कैसे करते हैं ललिता पंचमी (Lalita Panchami) पर उपांग ललिता व्रत
– ललिता पंचमी (Lalita Panchami) के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
– इसके बाद उपांग ललिता व्रत रखने का संकल्प लें।
– माता ललिता की पूजा के लिए फल, फूल, नैवेद्य का प्रबंध करें।
– अब भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करके उनकी पूजा करें।
– श्री अशोक सुंदरी माता का भी ध्यान करके उपांग ललिता व्रत के लिए आशीर्वाद मांगें।
– माता ललिता के चित्र या मूर्ति के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें।
– माता ललिता की सहस्रावली का जाप करें।
– माता ललिता से जुड़े मंत्रों का भी जा कर सकते हैं।
– शिव मंदिर जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करें और उनसे व्रत की सफलता का आशीर्वाद मांगें।
– माता ललिता का पूजन उत्तर दिशा की ओर मुंह करके करें।
क्या है ललिता पंचमी पर उपांग ललिता व्रत रखने के फायदे
ललिता पंचमी पर उपांग ललिता व्रत रखना बेहद फलदायक माना जाता है। मान्यता है कि ललिता देवी का व्रत करने से दस महाविद्या प्रसन्न होती है। यह व्रत सुख, संपत्ति और संतान प्रदान करने वाला माना जाता है। माता ललिता समस्त सुखों को देने वाली है। उन्हें श्री विद्या भी कहा जाता है। श्री यानी लक्ष्मी और विद्या यानी सरस्वती, इसलिए माता ललिता की उपासना से श्री और विद्या दोनों का लाभ प्राप्त होता है। आप अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए ललिता पंचमी (Lalita Panchami) पर उपांग ललिता व्रत का पालन जरूर करें।