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नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा के आशीर्वाद से सजाएं जीवन

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नवरात्रि हिंदू त्योहारों में सबसे बड़ा उत्सवह है। नौ दिन तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव के प्रतिदिन देवी दुर्गा के एक विशेष रूप की पूजा होती है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) की पूजा का विधान है। माना जाता है माता चंद्रघंटा भक्तों के जीवन में शांति, सुख और खुशियां भर देती है। नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में परेशानियां दूर हो जाती है। जानते हैं नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा का महत्व और पूजा विधि के बारे में

H2- कब हैं माता चंद्रघंटा की पूजा

माता चंद्रघंटा की पूजा चैत्र नवरात्रि 2022 में 4 अप्रैल 2022 को है। इस दिन गणगौर उत्सव भी मनाया जाएगा।

माता चंद्रघंटा का स्वरूप

माता चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत मनमोहक और सौम्य है। यह रूप भक्तों को परम शांति देता है। माता चंद्रघंटा शेर पर सवार रहतीं हैं। माता का रंग सोने के समान उज्ज्वल है। उनकी दस भुजाएं हैं और दसों भुजाओं में वे विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों को धारण करती हैं। माता को देखकर ऐसा लगता है मानो वे असुरों से युद्ध लड़ने के लिए जा रही हैं। माता के मुकुट में घंटी और अर्धचंद्र सुशोभित है।

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा पूजा का महत्व और लाभ

नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता मणिपुर चक्र की अधिष्ठाता देवी माना जाता है। मणिपुर चक्र यानी नाभि चक्र। नाभि चक्र शरीर के बीच है, जो पूरे शरीर को ऊर्जा देता है। नाभि चक्र की ऊर्जा कम होने से शरीर में तरह-तरह के रोग होने लगते हैं। जिन लोगों को डायबिटीज या पाचन तंत्र से संबंधित किसी भी तरह का रोग होता है, उनका नाभि चक्र डिस्टर्ब होता है। ऐसे लोगों को माता चंद्रघंटा की विशेष आराधना करना चाहिए।

माता चंद्रघंटा की आराधना से अनावश्यक भय और अवसाद भी दूर होता है। माता चंद्रघंटा का विशेष पूजा करने से शक्ति, आत्मविश्वास, सौम्यता, विनम्रता जैसे सद्भाव भक्तों में प्रकट होते हैं। वे तुरंत मनोकामना पूरी करने वाली देवी है। जब माता को भक्त पुकारते हैं, तो चारों मधुर घंटियों की आवाज सुनाई देने लगती है। माना जाता है कि ये घंटी की आवाज जीवन से नकारात्मकता को पूरी तरह दूर कर देती है।

कैसे करें माता चंद्रघंटा की पूजा

– नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा से पहले स्नान करके शुद्ध उज्ज्वल कपड़े पहनें।
– माता चंद्रघंटा के चित्र या मूर्ति को पूजा चौकी के पास स्थापित करें।
– माता चंद्रघंटा का आह्वान करें।
– माता को फल, फूल के दिव्य सुंगधित चीजें अर्पित करें।
– चंद्रघंटा की पूजा में खीर और शहद के भोग का विशेष महत्व है।
– माता चंद्रघंटा के मंत्रों का कम से कम 108 बार पाठ जरूर करें।

h3- माता चंद्रघंटा के मंत्र

ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
या
या देवी सर्वभूतेषु, चंद्रघंटायै रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।।

चंद्रघंटा पूजा से शुक्र पीड़ा दूर

माता चंद्रघंटा की पूजा से शुक्र ग्रह की पीड़ा दूर होती है। माता चंद्रघटा के आशीर्वाद से वैवाहिक जीवन की समस्या दूर हो जाती है। वहीं शुक्र ग्रह को ज्योतिष में विलासिता का ग्रह माना जाता है। शुक्र ग्रह की पीड़ा दूर होने पर जीवन में प्रेम, आर्थिक लाभ और उन्नति प्राप्त होती है।

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