festivals

कब है देव उठनी एकादशी (dev uthani ekadashi 2022) और क्या है इसकी व्रत पूजा विधि और कथा

Pinterest LinkedIn Tumblr

हिंदू धर्म में एकादशी पर्व का बहुत महत्व है। इनमें भी देव उठनी एकादशी (dev uthani ekadashi) का बहुत महत्व है। कार्तिक मास की एकादशी को देव उठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। कार्तिक भगवान विष्णु का प्रिय महीना है। ऐसे में इस एकादशी महत्व और अधिक बढ़ जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी पर भगवान विष्णु अपने चार माह के विश्राम के बाद उठते हैं, इसलिए इस एकादशी को देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। जानते हैं साल 2022 में देवउठनी एकादशी (dev uthani ekadashi 2022) कब है? इसकी पूजा विधि क्या है? इस दिन क्या विशेष काम किए जा सकते हैं।

देवउठनी एकादशी (dev uthani ekadashi 2022) कब है?

साल 2022 में देवउठनी एकादशी (dev uthani ekadashi 2022) 4 नवंबर को मनाई जाएगी।
देव उठनी एकादशी 2022 – 4 नवंबर 2022, शुक्रवार
एकादशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 03, 2022 को 07:30 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 04, 2022 को 06:08 पी एम बजे

एकादशी का पारण (व्रत खोलना) – 5 नवंबर, 2022, सुबह 05:43 ए एम से 07:58 ए एम

देवउठनी एकादशी (dev uthani ekadashi) का महत्व

देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन से रूके हुए मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। चार महीने बरसात और देवों के सोए रहने से किसी भी तरह के मांगलिक काम नहीं होते हैं। देव उठनी एकादशी से मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश जैसे सभी काम शुरू हो जाते हैं। यह दिन हेमंत ऋतु के आगमन का संदेश देता है। चातुर्मास खत्म होने के कारण दूध, मूली, बैंगन और मैथी जैसी सब्जियों का सेवन भी इसके बाद किया जा सकता है। देवशयनी एकादशी से सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं।

कैसे करें देव उठनी एकादशी का व्रत (dev uthani ekadashi 2022 vrat)

– इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के समक्ष व्रत का संकल्प लेना
चाहिए।
– घर में सफाई और स्नान के बाद रंगोली बनाना चाहिए।
– दिन में व्रत रखते हुए भगवान विष्णु के दिव्य मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए।
– शाम में घर के बाहर दीप माला सजाना चाहिए।
– गरीब और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।
– देव उठनी एकादशी का व्रत (dev uthani ekadashi 2022 vrat) की कथा भी पढ़ना और सुनना चाहिए।
– अगले दिन सुबह व्रत का पारण करना चाहिए।
– व्रत के दिन में दूध और फल का आहार लिया जा सकता है।

देव उठनी एकादशी पर होता है तुलसी विवाह

देव उठनी एकादशी (dev uthani ekadashi) पर मंदिरों में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। जिन पति-पत्नी को कन्या नहीं होती है, वे भी तुलसी विवाह करके कन्यादान का लाभ उठाते हैं। भगवान विष्णु के प्रत्येक भोग में तुलसी का पत्ता जरूर रखा जाता है। यहां तुलसी विवाह (tulasi vivah) के आयोजन का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देना है, इसलिए तुलसी विवाह के माध्यम से लोगों को संदेश दिया जाता है कि सभी पेड़-पौधे भगवान का ही स्वरूप है, जो हमें जीवन के लिए ऑक्सीजन देते हैं। ऐसे में इनका संरक्षण किया जाना जरूरी है। देव उठनी एकादशी (dev uthani ekadashi) पर तुलसी के पौधे उपहार में देने का भी प्रचलन है।

देवउठनी एकादशी 2022 पर जानिए व्रत कथा

देवउठनी एकादशी की कई अलग-अलग कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु से लक्ष्मीजी ने कहा कि आप हमेशा जागते रहते हैं और जब सोते हैं, तो करोड़ो वर्षों तक सो जाते हैं। इससे पृथ्वी के संचालन में दिक्कत आ जाती है। इसलिए आप सोने का कोई नियम बनाएं। तब भगवान विष्णु ने पृथ्वी के सौर वर्ष के आधार पर सोने का नियम बनाया। इस दौरान उन्होंने वर्षाकाल के चार महीने सोने की बात कही। साथ में यह भी कहा कि इस समय सभी तरह के मांगलिक कामों पर प्रतिबंध रहेगा। उस समय जो भी भक्त शयन अवस्था में मेरी सेवा करेगा, मैं उसके घर में सदा वास करूंगा। देवउठनी एकादशी 2022 (dev uthani ekadashi 2022) पर आप भी अपने क्षेत्र की प्रचलित कथा पढ़ सकते हैं। देवदर्शन के माध्यम से आप देश के सभी प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। यहां ऑनलाइन पूजा में भाग लेकर आप मनोकामना पूरी कर सकते हैं। आज ही डाउनलोड करें- देवदर्शन ऐप।