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जानिए कब है विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti), क्या है इसकी पूजा विधि और महत्व

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भगवान विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार हैं। किसी भी भवन निर्माण से पहले भगवान विश्वकर्मा की पूजा करना शुभ माना जाता है। यहीं नहीं देवताओं के बड़े बड़े अस्त्र-शस्त्र बनाने का काम भी भगवान विश्वकर्मा ने किया है। विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने और उनसे आशीर्वाद लेने का एक दिन है। स्कंदपुराण में विश्वकर्मा को दुनिया को रचने वाला भी कहा गया है। स्वर्ग का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। जानते हैं विश्वकर्मा जयंती कब है? उनकी पूजा का लाभ क्या है? कैसे करना है भगवान विश्वकर्मा की पूजा

कब है विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti)

साल 2022 में विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाएगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त – सुबह 7.36 एएम

विश्वकर्मा जयंती का महत्व

माना जाता है भगवान विश्वकर्मा ने ही ब्रह्मा के कहने पर दुनिया की रचना की है। उन्हें पहला इंजीनियर कहा जाता है। आज भी देश में कई इंजीनियर विश्वकर्मा पूजन के बाद ही अपने प्रोजेक्ट को शुरू करते हैं। विश्वकर्मा जयंती कन्या संक्रांति को मनाई जाती है।

कहा जाता है विश्वकर्मा की पूजा से धन-धान्य में वृद्धि होती है। देश के कई इलाकों में उद्योगों, फैक्ट्रियों और मशीनों की पूजा भी विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) जयंती के दिन की जाती है। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा के प्रसन्न होने से कभी किसी प्रोजेक्ट या मशीनों में खराबी नहीं आती है। पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण की द्वारका, स्वर्ग, लंका, इंद्रपुरी, हस्तीनापुर के अलावा, पुष्पक विमान, इंद्र का वज्र, भगवान शिव का त्रिशुल, सुदर्शन चक्र ये सभी भगवान विश्वकर्मा की ही देन है, इसलिए विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विष्णु के स्वरूप के रूप में पूजित विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।

विश्वकर्मा जयंती की पूजा विधि

– भगवान विश्वकर्मा की पूजा से पहले स्वच्छ कपड़े पहनकर तैयार हों।
– चौकी पर भगवान विश्वकर्मा का चित्र प्रतिष्ठित करें।
– विश्वकर्मा की पंचोपचार पूजा करें।
– इस समय भगवान विष्णु का भी ध्यान करें।
– पूजा के दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का ध्यान करें। यदि आप विश्वकर्मा से संबंधित मंत्र नहीं जानते हैं, तो भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
– इस दिन यज्ञ का भी विशेष महत्व है।
– हो सकें तो वास्तुदेव का भी पूजन करें।
– भगवान विश्वकर्मा से अपने कार्यों को शीघ्र पूरा करने का आशीर्वाद मांगे।

क्या है विश्वकर्मा जयंती की कथा

भगवान विश्वकर्मा के जन्म से जुड़ी अलग-अलग कहानी है। कहते हैं ब्रह्माजी के बेटे धर्म के सात पुत्र थे। उनमें से सातवें पुत्र का नाम वास्तु था। वास्तु के ही एक पुत्र विश्वकर्मा हुए। वहीं स्कंद पुराण में बताया जाता है कि धर्म ऋषि के आठवें पुत्र प्रभास का विवाह गुरु बृहस्पति की बहन भुवना ब्रह्मवादिनी के साथ हुआ था। ब्रह्मवादिनी ही विश्वकर्मा जी की मां थी। इस तरह अलग अलग क्षेत्रों में इनके जन्म को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।

भगवान विश्वकर्मा का स्वरूप

भगवान विश्वकर्मा के कई स्वरूपों की वर्णन पुराणों में मिलता है। हालांकि प्रचलित ज्यादातर चित्रों और मूर्तियों में उनके चार हाथ दिखाए गए हैं। पुराणों में भगवान विश्वकर्मा के पांच पुत्रों मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और दैवज्ञ के बारे में भी जानकारी दी गई है। उनके सभी पुत्र भी अलग-अलग विधाओं में श्रेष्ठ कहे गए हैं। जैसे मनु को लोहे से, मय को लकड़ी, त्वष्टा को कांसे एवं तांबे, शिल्पी ईंट और दैवज्ञ को सोने-चांदी से जोड़ा जाता है। आप भगवान विष्णु को भी विश्वकर्मा मानकर उनकी पूजा कर सकते हैं।

लाभ के लिए मनाए विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti)

भगवान विश्वकर्मा की पूजा से लाभ मिलता है। भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति की चाह रखने वाले लोगों को विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jayanti) पर पूजा जरूर करनी चाहिए। हर साल सितंबर में विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति को मनाई जाती है। यह पूजा सभी कलाकारों, बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक घरानों द्वारा की जाती है। इस दिन ज्यादातर कल-कारखाने बंद रहते हैं और लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। आप सभी को देवदर्शन की ओर से विश्वकर्मा जयंती की शुभकामनाएं। आप देवदर्शन डाउनलोड करके देश के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन और पूजा का लाभ ले सकते हैं।