फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि गोविंद द्वादशी पर्व मनाया जाता है। साल 2022 गोविंद द्वादशी पर्व 14 मार्च को मनाया जाएगा। होली से महज चार दिन पहले आने वाली गोविंद द्वादशी पर्व उत्सव की सबसे ज्यादा धूम मथुरा-वृंदावन में होती है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है गोविंद द्वादशी का भगवान कृष्ण को समर्पित है। गोविंद द्वादशी के दिन विष्णु स्वरूप भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन की सभी नकारात्मकता दूर हो जाती है। जानते हैं क्यों और कैसे करें गोविंद द्वादशी 2022 का विशेष व्रत-
कब है गोविंद द्वादशी 2022
गोविंद द्वादशी – 15 मार्च 2022
गोविंद द्वादशी से पहले रंगभरी ग्यारस आती है। उस दिन से सप्ताह भर तक बृज में होली का उत्साह रहता है।
क्यों करें गोविंद द्वादशी 2022 का व्रत
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार गोविंद द्वादशी व्रत करने से भगवान कृष्ण की आशीर्वाद प्राप्त होती है। गोविंद द्वादशी के व्रत करने से संतान संबंधी कोई भी चिंता दूर होती है। यह व्रत और इसकी विशेष पूजा सभी तरह की मनोकामना को पूरी करने वाली बताई गई है। यह व्रत एकादशी की तरह की सभी तरह की बीमारियों से भी मुक्ति देता है। आर्थिक उन्नति चाहने वालों को, प्रेम संबंध में सफलता प्राप्त करने की इच्छा रखने वालों, बच्चों की चाह रखने वालों और भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए गोविंद द्वादशी 2022 का व्रत रखना चाहिए। साथ ही गोविंद द्वादशी की विशेष पूजा का लाभ भी उठाना चाहिए।
ऐसे करें गोविंद द्वादशी का व्रत
– सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करें। इसके बाद स्नान करके भगवान के समक्ष पांच मिनट का ध्यान जरूर करें।
– भगवान कृष्ण या बाल गोविंद की छोटी मूर्ति को स्नान करवाएं और नए वस्त्र धारण करवाएं।
– भगवान को सुबह दूध और दूध से बनी किसी मिठाई का भोग लगाएं और उनके सामने गोविंद द्वादशी व्रत करने का संकल्प लें।
– भगवान कृष्ण के साथ यदि उपलब्ध हो तो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के चित्र के सामने भी दीपक प्रज्वलित करें।
– गोविंद द्वादशी से जुड़ी कथा पढ़ें
– भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु के किसी भी मंत्र का 108 बार जाप जरूर करें।-
– यदि आप ये पूजा घर पर नहीं कर पा रहे हैं, तो जिस विद्वान से यह पूजा करवा रहे हैं, उन्हें दक्षिणा जरूर दें।
– इस दिन एक समय या दोनों समय व्रत रखकर केवल फलों और दूध आदि का सेवन करें।
– मांस, मदिरा से दूर रहें।
– गोविंद द्वादशी के दिन किसी गौशाला में जाकर गाय को हरी घास जरूर खिलाएं।
गोविंद द्वादशी पर करें इन मंत्रों का जाप
गोविंद द्वादशी की पूजा (Govind Dwadshi Puja Mantra) में भगवान विष्णु या भगवान कृष्ण के मंत्रों का जप
करता है, उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। आप भी इस दिन की पूजा में स्पष्ट उच्चारण पूर्वक और पूरी श्रद्धा के इनमें से किसी एक मंत्र का जाप जरूर करें।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
ॐ नमो नारायणाय नम:
श्रीकृष्णाय नम:
सर्वात्मने नम:
गोविंद द्वादशी व्रत कथा
हालांकि अलग-अलग जगहों पर गोविंद द्वादशी की व्रत कथा अलग-अलग है। हालांकि भागवत कथा के अनुसार एक यादव कन्या ने सबसे पहले इस व्रत को किया था। वह बहुत निर्धन थी, लेकिन भगवान विष्णु के प्रति उसकी श्रद्धा बहुत ज्यादा थी। वह हमेशा एकादशी का व्रत रखती और अगले दिन पारण करती। एक बार एकादशी के बाद दूसरे दिन व्रत खोलने से पहले वह दही बेचने के लिए गई। उस समय गोलोक में भगवान कृष्ण और राधा वन विहार कर रहे थे। तभी राधारानी से एक पुष्प के वृक्ष को जोर से हिलाया। उसी में से एक पुष्प इस यादव कन्या की मटकी में गिर गया। इसके प्रभाव से दिनभर में उसका दही खत्म नहीं हुआ और अनजाने ही उसने बिना खाए व्रत कर लिया। चमत्कार मान वह हर साल यह व्रत करने लगी। इसी के प्रभाव के चलते उसे जीवन में कभी किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। उसकी सारी चिंता दूर हुई और मृत्यु के बाद उसे भगवान कृष्ण की शरण प्राप्त हुई। आप गोविंद द्वादशी 2022 पर व्रत और पूजा से सभी कष्टों को दूर कर सकते हैं।
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